चल में आज अदत से काम लेता हूूँ
ओर तेरे चेहरे की खुशी
उस खुदा से इबादत में माँग लेता हूँ !!!!!
तेरी आँखों की यह नमी,
कहती है तू खुश तो नहीं,
तेरी जुल्फें हैं घनी,, पर यह क्यों सुलझी नहीं
तेरी धड़कन है थमी ,,मुझे कहती हैं
तू कम्बख्त मुझे अभी भूली नहीं ,,
चल फिर तुझे आज अपना सनम मान लेता हूँ
ओर तेरे चेहरे की खुशी फिर उस खुदा से इबादत में माँग लेता हूँ!!!!
****क्या अपनी कहूँ???****
निमिष तो इक दिल का नाम है
आ करीब आ
तेरी धड़कनों की आहटों से आज में खुद धड़कना जान लेता हूँ
ओर तुझे उस खुदा से फिर इबादत में माँग लेता हूँ!!!!!
इज्जत तू ,,बरकत तू ,, आदत तू
ओ पगली इस दिल की
धड़कन तू ,
मेरी इक बस मंजिल तू,
हर वक्त ओर हर इक दिन बस तेरी यादों का जाम अब में लेता हूँ
ओर तुझे उस खुदा से इबादत में माँग लेता हूँ!!!!!
मेरा दिल तो लिखकर जा रहा है प्यार की इक कहानी
तू जिसकी रानी
बनना था मुझे राजा
पर तू पगली बोली
चल हठ जा-जा
पर मेरा दिल तो लिख चुका है
तेरी ओर मेरी यह कहानी
जिसको सुनती रहेगी तू सदा
ओर सुनाती रहेगी तेरी नानी
“चल तेरी खुशी के लिए ही सही
पर में हार मान लेता हूँ
ओर तेरे चेहरे की खुशी
फिर उस खुदा से इबादत में माँग लेता हूँ !!!!”
Kyaa khub likha hai……meri kavita ki saar aapki kavita se jhalakti hai…..
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यह तो आपका बड़प्पन है….कोशिश कर रहा हूँ कि इक दिन आपकी तरह में भी लिख सकूँ…
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मेरी तरह क्यों मैं तो भगवान् से प्रार्थना करूँगा की आप हमसे बहुत बेहतर लिखें।सुक्रिया आपका।
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स्वागत है आपका…😊😊😊😊😊😊
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