मै हूँ एक डाल जिसे इस तूफान ने मुझे अपने, अपनोँ से दूर कर दिया
पर तू मेरी एहमियत समझ – – – – – – – –
चाहे तो तू मुझे जला दे————-
1. शायद किसी के अंतिम पल मेँ उसे आग दे जाऊँ, ताकि वो अगले जनम कुछ कर दिखाए जो उससे इस जनम छूट गया
2.शायद किसी भूखे के चूल्हे मेँ जलकर उसकी भूख मिटा सकूं…….
3.शायद किसी प्राणी के हवन मेँ जलकर उसके सारे विघ्न मिटा सकूं……..
चाहे तो तू मुझे किसी असहाय की लाठी बना दे
चाहे तो तू मुझसे किसी का घर बना दे………
चाहे तो तु मुझे पेपर बना दे कम से कम कोई मजलूम मुझ पर अपनी कहानी बयाँ कर सके……..
चाहे तो मुझे तू कुर्सी बना दे कम से कम, कोई मुझ पर अपनी थकान तो मिटा सके सके……
पर तुम मुझे यूँ छोड कर न जाओ वरना मेँ यही पर टूटकर बिखर जाऊँगा….
Reblogged this on Go Stranger-Poems, Stories and Life Events etc..
LikeLike